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तव॑ श्रि॒ये म॒रुतो॑ मर्जयन्त॒ रुद्र॒ यत्ते॒ जनि॑म॒ चारु॑ चि॒त्रम्। प॒दं यद्विष्णो॑रुप॒मं नि॒धायि॒ तेन॑ पासि॒ गुह्यं॒ नाम॒ गोना॑म् ॥३॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

tava śriye maruto marjayanta rudra yat te janima cāru citram | padaṁ yad viṣṇor upamaṁ nidhāyi tena pāsi guhyaṁ nāma gonām ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

तव॑। श्रि॒ये। म॒रुतः॑। म॒र्ज॒य॒न्त॒। रुद्र॑। यत्। ते॒। जनि॑म। चारु॑। चि॒त्रम्। प॒दम्। यत्। विष्णोः॑। उ॒प॒ऽमम्। नि॒ऽधायि॑। तेन॑। पा॒सि॒। गुह्य॑म्। नाम॑। गोना॑म् ॥३॥

ऋग्वेद » मण्डल:5» सूक्त:3» मन्त्र:3 | अष्टक:3» अध्याय:8» वर्ग:16» मन्त्र:3 | मण्डल:5» अनुवाक:1» मन्त्र:3


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (रुद्र) दुष्टों के रुलानेवाले ! जो (मरुतः) मनुष्य (तव) आपकी (श्रिये) लक्ष्मी के लिये (मर्जयन्त) शुद्ध करें (ते) आपका (यत्) जो (चारु) सुन्दर (चित्रम्) अद्भुत (पदम्) प्राप्त होने योग्य (जनिम) जन्म उसको शुद्ध करें और (यत्) जो आप (विष्णोः) व्यापक ईश्वर का (उपमम्) उपमायुक्त और (गोनाम्) इन्द्रियों वा किरणों का (गुह्यम्) गुप्त (नाम) नाम (निधायि) धारण करें (तेन) इसी हेतु से उनका आप (पासि) पालन करते हो, इससे सत्कार करने योग्य हो ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे राजन् ! इसी से आपके जन्म का साफल्य होवे, जिससे आप ईश्वर के सदृश पक्षपात का त्याग करके प्रजाओं का पालन करो ॥३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे रुद्र ! यो मरुतस्तव श्रिये मर्जयन्त ते यच्चारु चित्रं पदं जनिम तन्मर्जयन्त यत्त्वया विष्णोरुपमं गोनां गुह्यं नाम निधायि तेन ताँस्त्वं पासि तस्मात् सत्कर्त्तव्योऽसि ॥३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (तव) (श्रिये) लक्ष्म्यै (मरुतः) मनुष्याः (मर्जयन्त) शोधयन्तु (रुद्र) दुष्टानां रोदयितः (यत्) (ते) तव (जनिम) जन्म (चारु) सुन्दरम् (चित्रम्) अद्भुतम् (पदम्) प्राप्तव्यम् (यत्) (विष्णोः) व्यापकस्येश्वरस्य (उपमम्) (निधायि) ध्रियेत (तेन) (पासि) (गुह्यम्) (नाम) (गोनाम्) इन्द्रियाणां किरणानां वा ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे राजँस्तेनैव तव जन्मसाफल्यं भवेद्येन त्वमीश्वरवत्पक्षपातं विहाय प्रजाः पालयेः ॥३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे राजा! जेव्हा तू ईश्वराप्रमाणे भेदभावाचा त्याग करून प्रजेचे पालन करशील तेव्हा तुझा जन्म सफल होईल. ॥ ३ ॥